मैं शांति से बैठा अख़बार पढ़ रहा था, तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और अख़बार स...
अब जब कुछ ठीक है.!! यही दुनिया की रीत है.
अब जब कुछ ठीक है.!! यही दुनिया की रीत है.
मैं शांति से बैठा अख़बार पढ़ रहा था, तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और अख़बार स...
जब मै अपने बचपन की दुनिया की तुलना आज की दुनिया से करता हू तब सबसे पहले इस बात की ओर घ्यान जाता है कि उस दुनिया में किसी व्यक...
अब न मिट्टी के खिलौनों की मांग है ना भोज एवं दावतों में मिट्टी के कुल्हड़ का प्रचलन। दीपावली पर मिट्टी के दीये बस नाम मात्र को जलते है। ...
आज से करीब 7 साल पहले जब मै अपने पडोस के बुआ को लेकर झांसी से बनारस बाय ट्रेन आ रहा था तभी रास्ते में एक युवती अपने माता के साथ हमारे डिब्...
संसार मे अच्छाई और बुराई दोनों है , लेकिन उनके पीछे दोनों मे बहुत जटिलताएं भी है , जो परिस्थितियों पर निर्भर होती है , और उन्हें समझन...
समाज में हर एक इंसान को बराबर का दर्जा हासिल है , वहीं इंसान को इंसान समझने की सोच जैसे धीरे-धीरे पीछे छूटती जा रही है और इंस...