संसार मे अच्छाई और बुराई दोनों है, लेकिन उनके पीछे दोनों मे बहुत जटिलताएं भी है, जो परिस्थितियों पर निर्भर होती है, और उन्हें समझना कठिन होता है। इसीलिए हमें जो सामने दिख रहा है उसपर सतही तौर से देख कर अपनी राय नहीं बनाना चाहिए , जब तक हम पूरी बात समझ ना लें।
अगर कोई किसी की मदद करता है तो उसका मतलब यह नहीं की वो एहसान कर रहा है, बल्कि ये है की वो दोस्ती का मतलब समझता है
अगर कोई किसी से झगडा हो जाने के बाद माफ़ी मांग लेता है तो मतलब यह नहीं की वो डर गया या वो गलत था, लेकिन यह है की वो मानवता के मूल्यों को समझता है।
कोई अपने कार्यस्थल पर पूरा काम निष्ठा से करता है तो मतलब यह नहीं की वो डरता है,
बल्कि वो श्रम का महत्त्व समझता है और देश के विकास मे अपना योगदान करता है।
अगर कोई किसी की मदद करने को तत्पर है तो उसका मतलब ये नहीं की वो फ़ालतू है या आपसे कुछ चाहता है, बल्कि ये है की वो अपना एक दोस्त खोना नहीं चाहता।.

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