आजकल “महिला सशक्तिकरण” सुन-सुन कर कई लोग सोचते हैं कि ये सिर्फ भाषणों या सरकारी पोस्टरों की चीज है। पर सच तो यह है कि अगर इसे पावरबैंक से तुलना करें, तो चार्जिंग वायर शिक्षा ही है। बिना पढ़ाई के सशक्तिकरण उतना ही अधूरा है जितना वाई-फाई के बिना स्मार्टफोन।  

महिला और शिक्षा का रिश्ता दो तरफा है—शिक्षा महिला को आत्मनिर्भर बनाती है और आत्मनिर्भर महिला अगली पीढ़ी को और बेहतर शिक्षित करती है। कभी सोचा है आपने की शिक्षा क्यों है असली “सुपरपावर”?  
- यह महिला को खुद के फैसले लेने की ताकत देती है।  
- उसे “किचन पॉलिटिक्स” से आगे बढ़कर ऑफिस बोर्डरूम और समाजिक मंच में जगह दिलाती है।  
- आर्थिक स्वतंत्रता आती है, जिससे वह “पैसा मांगने वाली” से “पैसा बनाने वाली” में बदल जाती है।  
- सबसे बड़ी बात, शिक्षा महिला को खुद पर भरोसा करना सिखाती है। और आत्मविश्वास आकर्षक शक्ति है। 
रोजमर्रा की प्रैक्टिस जो हर महिला अपना सकती है।
1. डेली रीडिंग 20 मिनट – अख़बार, किताब, या ई-बुक। सोने से पहले “रील स्क्रॉल” की जगह “रीड स्क्रॉल”।  
2. स्किल-बेस्ड लर्निंग – हर तीन महीने में एक नया कौशल सीखें: जैसे डिजिटल मार्केटिंग, निवेश, कुकिंग का नया स्टाइल या ड्राइविंग।
3. फाइनेंशियल लिटरेसी – हर महिला को बजट बनाना, इन्वेस्ट करना और सेविंग्स प्लान चलाना चाहिए। क्योंकि “ब्यूटी पार्लर की क्रीम” से ज्यादा ज़रूरी है “फिक्स डिपॉज़िट की स्कीम”।  
4. पब्लिक स्पीकिंग की प्रैक्टिस– चाहे व्हाट्सऐप ग्रुप मीटिंग हो या कॉलोनी की मीटिंग, अपनी राय जरूर रखें। आवाज़ दबाने से इज्ज़त बढ़ती नहीं, गायब होती है।
5. मेंटॉर बनना और बनाना– किसी छोटी लड़की को पढ़ाई में गाइड करें और किसी बड़ी महिला से खुद सीखें। यह “वुमन सशक्तिकरण का व्हाट्सऐप फॉरवर्ड” नहीं, बल्कि असली नेटवर्किंग है।  
6. डिजिटल एजुकेशन का यूज़ – फ्री ऑनलाइन कोर्सेज़, यूट्यूब ट्यूटोरियल्स और पॉडकास्ट को अपनाइए।
इन सब कोशिशों का यह नतीजा होगा|
जब महिलाएं लगातार सीखना अपनी आदत बना लेंगी, तो समाज में उनका रोल सीरियल्स की “साइड कैरेक्टर बहू” से बदलकर असली “लीड रोल” में आ जाएगा।  
- घर की बेटियां कहीं भी नौकरी चुन सकेंगी।  
- माताएं बच्चों को न सिर्फ होमवर्क, बल्कि ड्रीमवर्क सिखाएंगी।  
- और महिलाएं सिर्फ “तुक्का मारने” नहीं, बल्कि प्लानिंग और पावर से फैसले लेंगी।  
महिलाओं के पास हमेशा से ताकत थी, पर शिक्षा उसे ऑन बटन देती है। तो लाइट जला दीजिए—और जिंदगी को हाई-वॉट बल्ब की तरह चमकाइए। आख़िर में, कारणों के जाल में जीना छोड़ो, और तुरंत कदम उठाइए।

डॉ अंकिता राज
शिक्षक, लेखिका

एक टिप्पणी भेजें

 
Top