स्वच्छ रखें पर्यावरण 
सबका हो कल्यान।
जीवन फूलों-सा खिले
चहकें पंछी गान।।

      आज का विषय अति महत्वपूर्ण है। वह इसलिए कि हम पूरी प्रकृति और पर्यावरण के विरुद्ध गैर जिम्मेदाराना कार्य शैली अपनाकर उसे घोर प्रदूषण की ओर ले जा रहे हैं।
       हम अपनी कार्य शैली से सम्पूर्ण वातावरण व पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हमारी सुविधाभोगिता हमें ऐसे मार्ग पर ले जा रही है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें क्षमा नहीं कर पाएंगी। वह इसलिए कि हमने पंच तत्वों - अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल को प्रदूषित करके भारी नुकसान पहुंचाया है और निरन्तर पहुंचाते ही जा रहे हैं। पानी को आरओ से शुद्ध करके पीना पड़ रहा है, पानी भरी बोतल 20 रु में मिल रही है, यदि हालात यही रहे ,तब निकट भविष्य में हमें श्वास लेने के लिए हमेशा मास्क पहनकर चलना ही पड़ेगा, बल्कि कुछ लोग तो श्वास की बीमारियों से इतने ग्रसित हैं कि उन्हें अब भी मास्क पहनना पड़ रहा है। बल्कि हाल ही में कोरोना जैसे वायरस ने सबको ही मास्क पहना दिया है। कैंसर के रोगियों में निरंतर वृद्धि हो ही रही है। लाखों लोग फेंफड़ों और कैंसर जैसी महामारी से प्रतिवर्ष दम तोड़ ही देते हैं।कदाचित अब जल्दी ही ऐसा भयावह समय आने वाला है कि हमें ऑक्सीजन का छोटा सिलेंडर साथ में लेकर चलना ही पड़ेगा, तब कहीं हम श्वास लेकर जीवित रहने के लिए संघर्ष कर पाएंगे। पैदल चलना अब शान - शौकत के विरुद्ध है। पचास सौ मीटर के लिए भी वाहन का प्रयोग। मैं अपने मोहल्ले में यह सब देख रहा हूँ, कदाचित आप भी रोज देखते ही होंगे। इसी सुविधाभोगिता के चलते रोग व रोगियों का ग्राफ बढ़ रहा है। देर से सोना व देर से जगना, बल्कि पूरा आहार विहार ही स्वयं को, समाज को, साथ ही राष्ट्र को खाई की ओर ले जा रहा है।
     हमें चिंतन मनन करना ही होगा कि हम किस दिशा और दशा की ओर बढ़ रहे हैं। इस सबके चलते 
पर्यावरण को स्वच्छ करने की शुरुआत हमें स्वयं से ही करनी होगी।
वह तभी हो सकती है, जब हम अपने मन से पूरी तरह संकल्पित हो जाएँ। अर्थात मन को दृढ़ संकल्पित कर लें कि हमें अपने आपको हर हाल में सुधारना ही है।

अपने से शुरुआत कैसे हो?
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पहले तो अपनी दिनचर्या में ही आमूल- चूल परिवर्तन करिए। आहार विहार को प्रकृति के अनुकूल ढालिए। सुविधाभोगिता की वस्तुओं का प्रयोग उतना ही करिए, जितना विशेष रूप से आवश्यक हो।
      अपने आसपास तुलसी, मनीप्लांट, स्नेकप्लान्ट, नीम, पीपल, वटवृक्ष आदि के पौधे अधिक से अधिक रोपिए और देखभाल करिए।
         सुविधाभोगिता में कटौती करके ही बिजली की बचत की जा सकती है। 'एसी संस्कृति' देश को तबाही की ओर ले जा रही है।एक ओर हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को कमजोर कर रोगों में इजाफा कर रही है तथा दूसरा हमें आलसी भी बना रही है। एसी का प्रयोग बिलकुल न करें , यदि करते भी हैं सीमित मात्रा में करें। मैं भी नहीं करता हूँ, तभी आपको सलाह भी दे रहा हूँ। उससे निकलने वाली दूषित हवा को शुद्ध करने के लिए पौधे अवश्य लगाएँ। जिनका वर्णन हमने ऊपर किया है, यदि मकान में कुछ जमीन है तो बड़े पौधे जैसे नीम, आम, जामुन, अनार, निम्बू आदि भी लगाएँ।
          घर की रसोई से निकलने वाले सब्जियों और फलों के छिलके, चाय पत्ती आदि का खाद बनाएँ, वह आसानी से बन जाता है, मैं भी बनाता हूँ। इसका तरीका यही है कि छिलके आदि को खाली गमले, प्लास्टिक के कट्टे या अनुउपयोगी बाल्टी, डब्बे आदि में भरते जाएँ, जब वह आधा भर जाए तो उसमें ऊपर से मिट्टी भर दें। दो चार दिन थोड़ा-थोड़ा पानी डाल दें, मिट्टी के ऊपर कोई भी पौधा रोप दें। पौधा बढ़ता रहेगा, और कचरा खाद में परिवर्तित होकर उपयोगी मिट्टी बनता रहेगा। इस तरह छिलके आदि में मिट्टी मिलाकर खाद बनाते रहें। मैं अपने छोटे से घर में यह सब करके तुलसी, गिलोय, एलोवेरा, गुलाब, रातरानी, हल्दी, भिंडी, टमाटर, मीठी नीम, चंपा, मनीप्लांट, स्नेकप्लांट, पाम आदि अच्छे से तैयार कर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का पूरा प्रयास करता रहता हूँ। जो निरोग रखने में काफी सहायक हैं। हाँ परिश्रम और समय तो लगता ही है, कदाचित खुशी बहुत मिलती है, सैकड़ों पंछी रोज मेरे अतिथि बनते हैं।
           दस-पन्द्रह मिनट का सफर पैदल ही करिए, बल्कि मैं तो ज्यादा भी करता हूँ। साइकिल से भी चल सकते हैं। जिस दिशा में आपको जाना है, उधर पहले अपनी बाइक आदि मोड़ें ,फिर स्टार्ट करिए। 
       कूड़ा करकट यथा स्थान समायोजित करें। इधर-उधर न फैकें। धूम्रपान, गुटके व मद्यपान आदि से बचिए। 
      अच्छा सोचिए और अच्छा करिए। अच्छी पुस्तकें पढ़िए। मोबाइल व टीवी का प्रयोग सीमित करिए ,साथ ही बच्चों को भी इस महामारी की लत लगाने से बचाइए। सुबह जगिए ,सूरज को निहारिए। पंछियों के राग सुनिए, कुछ दाना पानी छत पर रखिए।
   इस तरह आप अनेकानेक शुभ संकल्पों को अपनाकर पर्यावरण और पूरे वातावरण को स्वच्छ और उपयोगी बना सकते हैं। अपना एवं देश का हित कर सकते हैं। आगे बढ़ सकते हैं, आने वाला समय सुंदर व सुखद कर सकते हैं।
  
शुभ संकल्प के साथ
डॉ राकेश चक्र ,90 बी, शिवपुरी
मुरादाबाद 244001,उ.प्र .
9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com

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