पर्यावरण अर्थात हमारे आसपास जीवन का आवरण जिसमें वायु हवा पानी मृदा पौधे जीव जंतु अन्य गैसे आदि का समावेश है। आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए देश की आने वाली पीढ़ी युवाओं पर अधिक जिम्मेदारी है । प्रत्येक वर्ष वन विभाग , सरकार व आम जनमानस द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है जिसकी जागरूकता जन जन को है । इसी पहल में वन महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। किंतु जिस प्रकार जीवन शैली, वातावरण परिवर्तन हो रहा है उसमें पर्यावरण को बचाना अति आवश्यक हो गया है। बीते वर्षों में पर्यावरण को पहुंचाई गई क्षति का खामियाजा संपूर्ण विश्व ने भरा है। जिसका उदाहरण कोरोना काल रहा है। कोरोना काल में सबसे अधिक मृत्यु ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई जिसका सीधा संबंध पर्यावरण के वृक्ष पेड़ पौधों से रहा है। जिस प्रकार देश विकास की ओर बढ़ रहा है किंतु कहीं ना कहीं कुछ नजरअंदाज या कुछ लापरवाही की वजह से उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। यदि युवा पीढ़ी चाहे तो इस असामान्य परिवर्तन को परिवर्तित कर सकती है। आज की युवा पीढ़ी शिक्षित है शिक्षा के माध्यम से जन जन तक वृक्ष व पर्यावरण की महत्ता को पहुंचा सकती है । आज का समय डिजिटल सोशल मीडिया का है जिससे जन जागरूकता आसान हो गया है । उसके साथ ही निचले स्तर जमीनी स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा सकती है । जैसे जन जागरूकता में नुक्कड़ नाटक प्राथमिक विद्यालय व शहरी विद्यालयों में पर्यावरण की महत्वता व वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है। हर वर्ष वृक्षारोपण किए गए वृक्षों में नियमित जल खाद व समय-समय पर उसका अवलोकन आवश्यक है । विद्यालयों में वृक्ष के तमाम फायदे व उसके ना रहने से मानव जाति को होने वाले नुकसान को बताया जा सकता है एक वृक्ष केवल जलवायु परिवर्तन ही नहीं वरन कृषि में भी महत्वपूर्ण योगदान रखता है। वृक्षों से ही वर्षा मृदा अपरदन शुद्ध जलवायु आदि संतुलित रहती हैं। इस पहल में हमें प्रत्येक विद्यालयों में वृक्षारोपण करवाना बड़े वृक्ष जैसे की आम पीपल पकड़ आदि वृक्षों का रोपण करवाना। ऐसे वृक्षों को जो पूजनीय स्थान में है पूजा के द्वारा उनका देखभाल व संरक्षण किया जा सकता है । आज की युवा की यह जिम्मेदारी है कि प्रत्येक को जागरूक कर पौधारोपण व उसके संरक्षण की जानकारी आम जनमानस तक आसान विधियों से पहुंचाएं । आज के चलन में जन्मदिवस पर उपहार देने के बजाय उस व्यक्ति या बच्चे के नाम का एक वृक्ष रोपण कर उसकी देखभाल की जिम्मेदारी उसे सौंप दी जाए अन्य कार्यक्रमों में दीप प्रज्वलन के साथ वृक्षों को भेंट करें साथ ही जल संरक्षण का संदेश भी फैलाएं। इस प्रकार युवा समाज के प्रत्येक स्तर पर वन संरक्षण कार्यक्रम आयोजित कर अपने पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भागीदारी दे सकता है।

-डॉ दीप्ति योगेश्वर
(योगाचार्या व भौतिक चिकित्सक) 
 Motilal Nehru National Institute of technology, health center. 

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