अपने निजी स्वार्थ के लिए हड़ताल करना निंदनीय - प्रेसिडेंट हाई कोर्ट इलाहाबाद
ऐसे अधिवक्ताओं एवं बार के खिलाफ होगी कड़ी कार्यवाई - पूर्व चेयरमैंन बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश
खबर आजमगढ़, उत्तर प्रदेश से
आजमगढ़ जनपद में वैसे तो आठ तहसीलें है मगर कुछ तहसीलों में अधिवक्ताओं एवं अधिकारियों की मनमानी चरम सीमा पर है जिसका खमियाजा आज जनमानस एवं वादकारियों को होती है। हुआ यूं कि आज मार्टिनगंज एवं फूलपुर तहसील परिसर में दूर दराज से न्याय की उम्मीद लेकर आए वादकारी अपने ही वकील पर भड़क गए और बोले जल्द ही न्याय दिलाने की लालच देकर एवं बड़ी बड़ी कानूनी बातों में उलझा कर वकील अपना वकालत नामा भर कर मुकदमा कराते है उसके बाद अपने निजी स्वार्थ के लिए आय दिन हड़ताल कर हम वादकारियों को वर्षों तहसील का चक्कर लगवाते हैं ।
वहीं वादकारी भोलाराम ने कहा साहब अपनी फीस में कोई कटौती नहीं करते पहले 50 रुपए से 100 रुपए हर तारीख पर लेते थे अब फीस बढ़ा कर 2 सौ रुपए कर दिए और हमारे जैसे न्याय की आस लेकर आए प्रतिदिन सैकङों लोगों को साहब द्वारा सिर्फ तारीख पर तारीख मिलती हैं इन्हें हमारी कोई चिंता नहीं की हम कितने दूर से अपना काम काज छोड़कर इस तपती धुप में न्याय की उम्मीद लेकर आते है । हमारे रुपए,समय और काम काज त्यागने के बदले वकील साहबान सिर्फ तारीख पर तारीख देते हैं कभी किसी बहाने तो कभी किसी बहाने हड़ताल कर न्यायिक कार्य में बांधा डालते हैं।
वहीं तहसील बार संघ सदस्य एक अधिवक्ता ने बताया कि वैसे तो हर मुकदमे में वादी प्रतिवादी
होते जिसमें एक सही और एक गलत होता है जिसमें अपने हक के लिए लड़ने वाला पक्ष न्यायालय में जल्द से जल्द न्याय पाने की उम्मीद रखता है जबकि दूसरा गलत पक्ष मामले को लंबा खींचना चाहता है जिनका सहयोग यह हड़ताल करने वकील भी करते है और खास बात यह भी है आज वकालत एक दुकान की तरह है जिसमें वकील नहीं चाहता कि उनका ग्रहण उनसे दूर हो ।और न्यायालय में जल्द मामले का निस्तारण हो जायेंगे तो ऐसे हड़ताल करने वाले वकील की दुकान बंद हो जाएगी।
वहीं फूलपुर तहसील मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर से आने वाले वादकारी मूलचंद ने कहा कि हम इतनी दूर से आते है परंतु वकीलों के प्रतिदिन हड़ताल से अब जल्दी न्याय पाना मुश्किल लग रहा है।
वहीं मार्टिनगंज एसडीएम राजकुमार बैठा ने कहा हमारे तहसील में मुकदमें की फाइल बढ़ती चली जा रही, शासन से जल्द से वाद का निस्तारण करने का निर्देश है । मगर यहां अधिवक्ताओं के आयदिन हड़ताल से हम भी परेशान है अभी पिछले माह हमारे द्वारा अधिवक्ताओं के साथ बैठक एवं वार्ता की गई थी जिस पर इनके द्वारा दो चार दिन कोर्ट चलाया गया उसके बाद फिर ये किसी न किसी बहाने अपना निजी समस्या हेतु प्रस्ताव रख हड़ताल कर रहें है। आम जनता की समस्याओं को दरकिनार कर विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा अपने निजी समस्या हेतु हड़ताल करना ठीक नहीं।
वहीं फूलपुर उपजिलाधिकारी संत रंजन ने कहा कि हमारे तहसील के बार संघ मंत्री संजय कुमार यादव जो गांव ससमा में ग्राम सभा एवं मिलजुमला गाटा की भूमि पर रोड की तरफ दबंगई से एक गरीब व्यक्ति की मड़ई गिराकर बिना किसी विभाजन के ही हमारे सरकारी भूमि को पीछे करके कब्जा करना चाहते हैं जो बिना विधिक कार्यवाई से संभव नहीं । अब ये अधिवक्ता बन्धु अपने निजी लाभ के लिए तहसील प्रशाशन पर हड़ताल कर दबाव डालना चाहते जो सही नहीं है। अब वकीलों द्वारा हर रोज किसी न किसी बहाने हड़ताल करना व न करना इनका अपना विचार है हमारे तहसील प्रशाशन द्वारा जो न्याय एवं नियम संगत होगा वहीं किया जाएगा।
वहीं बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैंन पांचू राम से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा हमारा बार कौंसिल ऑफ यूपी हड़ताल के पक्ष में कभी नहीं रहता इस प्रकार से तहसील अधिवक्ताओं द्वारा आय दिन बिन वजह एवं अपने निजी स्वार्थ के लिए हड़ताल करना एक निंदनीय कार्य है ऐसी दशा में तहसील एसडीएम द्वारा एक लेटर लिख कर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश एवं चीफ जस्टिस ऑफ इलाहाबाद को भेजें। ऐसे सभी अधिवक्ताओं पर व उनके स्थानीय बार संगठन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। और यह शिकायत लेटर आम जनता भी कर सकती हैं।
वहीं प्रेसिडेंट ऑफ हाईकोर्ट अनिल कुमार तिवारी ने कहा तहसील अधिवक्ता हड़ताल जब न्याय पालिका खतरे में हो तब करें। अपने निजी लाभ के लिए हड़ताल करना निंदनीय है हम इसके खिलाफ हैं।
वहीं कानूनी जानकार एडवोकेट विजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी दशा में तहसील उपजिलाधिकारी को वादी प्रतिवादी के उपस्थिति में कोर्ट चलाकर निष्पक्ष न्याय कर देना चाहिए।
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