रिपोर्ट अम्बरीश द्विवेदी
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन बाल कार्यशाला का शुभारंभ शनिवार को दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन यह कार्यशाला बच्चों में कला, संस्कृति एवं परंपरा के प्रति अभिरुचि विकसित करने हेतु हर वर्ष आयोजित की जाती है। इस वर्ष भी कार्यशाला को लेकर बच्चों में उत्साह और उल्लास देखा गया। कार्यक्रम प्रभारी मदन मोहन मणि और सभी प्रशिक्षकों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की।
कार्यक्रम प्रभारी ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों को किताबी शिक्षा से आगे व्यावहारिक और सृजनात्मक शिक्षा की ओर प्रेरित करना है। यहां बच्चे अभिनय, नृत्य, चित्रकला, शिल्प कला, मूर्तिकला, हरियाणवी लोक नृत्य, कथक, आत्मविश्वास और जीवन कौशल जैसी विधाओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
पहले दिन बच्चों ने थिएटर एंड एजुकेशन एक्सपर्ट कुलदीप सिंह के निर्देशन में अभिनय की मूलभूत तकनीकों और संवाद अदायगी की कला सीखी। चित्रकला अनुभाग में बच्चों को ऑइल पेंटिंग्स व क्राफ्ट से परिचित कराया गया। शिल्प कला प्रशिक्षक भोला प्रसाद ने मिट्टी से मूर्ति निर्माण की विधा समझाई और बच्चों ने अपने हाथों से गणेश प्रतिमा और शिवलिंग का निर्माण किया।
कथक व हरियाणवी लोक नृत्य में बच्चों ने पारंपरिक मुद्राएं और भाव सीखे, जिससे उनमें भारतीय सांस्कृतिक विरासत को जानने की रुचि और भी प्रबल हुई। कार्यशाला में 8 से 16 वर्ष की आयु के लगभग 200 बच्चों ने प्रतिभाग किया है। पहले ही दिन से बच्चों में विभिन्न कलाओं को सीखने की होड़ और रचनात्मकता की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम प्रभारी ने सभी प्रशिक्षकों को पुष्प गुच्छ देकर उनको सम्मानित कियाl केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि ने बताया कि
यह कार्यशाला न केवल प्रतिभा को निखारने का माध्यम है, बल्कि बच्चों को आत्मविश्वास, अनुशासन और समग्र विकास की दिशा में अग्रसर करने का सशक्त प्रयास भी है l
इस अवसर पर कार्यक्रम अधिशासी कृष्ण मोहन द्विवेदी, मनोज कुमार, आरती, हिमानी आदि लोग मौजूद रहे
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