शिव कुमार प्रजापति ✍️
शाहगंज जौनपुर (उत्तरशक्ति) जनपद जौनपुर के सियासी गलियारों में प्रखर तेज तर्रार वक्ता माने जाने वाले पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष जयप्रकाश गुप्त लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। अंततः वाराणसी के एक निजी अस्पताल में रात निधन हो गया। निधन की खबर सुन सियासी गलियारों के साथ-साथ शाहगंज की आम जनमानस मायूस दिखाई पडी। अपने जिगरी साथी की देहांत की खबर सुन अलीगंज मोहल्ला निवासी विजय मोदनवाल की भी सीने में दर्द उठी और अपने पुराने सियासी साथी के साथ विजय मोदनवाल ने भी अपना आत्मा त्याग दिया। डॉक्टर के चेकअप के बाद अंततः विजय मोदनवाल को भी मृत्यु घोषित कर दिया गया। बताया जाता है कि पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश गुप्त एवं विजय मोदनवाल की बहुत ही पुरानी मित्रता थी। अंत में एक साथ दोनों का शव यात्रा का मिलन भी हो गया। चूड़ी मोहल्ले में मिलन के बाद दोनों मित्रों की शव यात्रा एक साथ गमगीन माहौल में आगे अपने स्थल पहुंची। पूर्व अध्यक्ष सियासी दुनिया के एक योद्धा में शुमार थे। वर्ष 1995 में भाजपा के टिकट से जयप्रकाश गुप्त ने फतह हासिल की थी। दोबारा महिला सीट होने के कारण अपनी पत्नी को मैदान में उतारा। फिर भी विजय हासिल की। भाजपा ने आगे स्वर्गीय जयप्रकाश गुप्त का टिकट काट दिया। ऐसे में आगे तीन प्रयास के बाद जयप्रकाश गुप्त सियासी गलियारे में अपना परचम नहीं लहरा पाये। शाहगंज के प्रखर वक्ता एवं सियासी गलियारों के एक योद्धा का इस युग में अंत हुआ। शाहगंज में दिनभर गमगीन माहौल बना रहा। 68 वर्षीय स्वर्गी जयप्रकाश गुप्त लंबे समय से बीमार चल रहे थे। स्वर्गीय श्री गुप्त का अंतिम संस्कार जौनपुर के रामघाट पर किया गया। शवयात्रा यात्रा के कारण आवागमन बाधित रहे। स्वर्गी गुप्त को चाहने वाले इस कदर थे की हर तरफ नम आंखें देखी गई। नम आंखों के साथ लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। और लोगों ने तभी जुबान से कहा की राजनीति के एक युग का अंत हुआ।

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