प्रयागराज का नाम सुनते हुए गंगा, यमुना. सरस्वती यानी संगम का विहंगम तस्वीर आंखों पर छप जाता है ऐसे में माघ में कल्पवास का सुख है, त्रिवेणी नदियों में संगम स्नान से मन तर हो जाता है। वैसे ही चलो मन गंगा यमुना तीर में जाकर लोक नृत्यों, लोकगीतों, सुगम संगीत और गायन के संगम से भी मन तर जाता है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा माघ मेला के पावन पुनीत अवसर पर हर वर्ष की भांति सांस्कृतिक केंद्र पंडाल में चलो मन गंगा यमुना तीर का मंच तैयार किया गया है।
बुधवार को राजस्थान के लोकनृत्य के वरिष्ठ कलाकार शंकर प्रसाद के द्वारा दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव चलो मन गंगा यमुना तीर का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत सात बटुक ब्राहम्णों के द्गारा स्वस्ति वाचन, वैदिक ऋचाओं के पाठ से सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। लोकप्रिय गायिका मिताली शर्मा का मंच पर आगमन होते ही पूरा पंडाल गंगा मईया के जयकारों सो गूंज उठा उन्होंने शिव शंकर मेरे भोले बाबा तेरा जलवा कहां पर नहीं है, जोने देशवा से पिया मोर जाइये पनीया बरसे टिकट गल जाये रे एवं दमा दम मस्त कलंदर गाकर सबका दिल जीत लिया। इसके बाद भजन गायक गणेश श्रीवास्तव एवं दल ने चलो मन गंगा यमुना तीर , पार करा नइया हे गंगा मइया तथा एक डोली चली एक चली अर्थी फर्क दोनों में क्या है सखी की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लुटी। वही सुनील कुमार एवं दल ने सात नदियां पार से मोर भइया आए गीत पर धोबिया लोकनृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों से तालियां बटोरी।
इसके बाद मणिपुर से पधारे मुटुम हीरोजीत सिंह ने लाई हरोबा नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। देश विदेश में अपने नृत्य का लोहा मनवा चुके पं बंगाल के जगन्नाथ कालिन्दी ने आनंदित भोलेनाथ करै नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद शंकर दास द्वारा भगवान बाबा रामदेव की आराधना पर किया जाने वाला तेराताली नृत्य की प्रस्तुति दी। मणिपुर का थांगटा एवं भवई लोकनृत्य आकर्षण का केन्द्र रहा। सर्द मौसम भी इस आस्था के पर्व को डिगा न सका देर रात तक गंगा मइया के जयकारों के साथ दर्शक सांस्कृतिक उत्सव में सराबोर रहे।
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