आज़ादी का लक्ष्य क्या हो अंग्रेजी हुकूमत तो चली गई लेकिन आज भी इस आधुनिक युग मे हम भाषा, रंग, क्षेत्र, जातीयता में बंधे हुए हैं इससे हमें निकलना होगा तभी आजादी का लक्ष्य साकार होगा उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कही। मौका था आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत अमर शहीदों की याद में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज के द्वारा ‘‘1857 की क्रान्ति व आजादी का लक्ष्य‘‘ पर एक संगोष्ठी का आयोजन 19 जुलाई को सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह, प्रयागराज में किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा0 प्रदीप भटनागर ने प्रयागराज के विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों से आए विद्यार्थियों को 1857 की क्रान्ति व आजादी का लक्ष्य के विषय को अवगत कराते हुए व उनके साथ आये हुए स्कूल के प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव, श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी तथा भारत भाग्य विधाता के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र पाठक को केन्द्र की ओर से पुष्प गुच्छ व शाल देकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरूआत श्री वीरेन्द्र पाठक ने भारत माता की जय के साथ किया उन्होंने भारतीय इतिहास से लोगों को परिचय कराया और कहा कि चौक में सात नीमों के पेड़ों पर 600 से अधिक क्रांतिकारियों को फांसी दी गई। अंग्रेजों के द्वारा क्रान्तिकारियों को दी जाने वाली फांसी की प्रक्रिया ‘‘ एक ऊंट एक हाथी‘‘ जैसी प्रथा के बारे में जिक्र करते हुए 1857 की क्रांति से पहले अंग्रेजों ने गुरुकुल शिक्षा को खत्म करके कैसे शिक्षा का बाजारीकरण किया। उन्होंने बक्सर व प्लासी के युद्ध के बारे में बताया और कहा कि शहाअदत खां ने इलाहाबाद को 50 लाख रुपये में अंग्रेजों को बेच दिया था साथ ही मेरठ से शुरू हुई गदर का भी जिक्र किया।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि ‘‘ भारतीय इतिहास को तोड़ -मरोड़ कर लिखा गया है इसलिए केवल इसमें सैनिक व सामंत विद्रोह को ही पढ़ा जाता है। आगे उन्होंने कहा कि जब आजादी की बात होती है, तो राजनीतिक पार्टियों के इर्द -गिर्द समाप्त हो जाती है जबकि, जब 1857 की क्रांति शुरू हुई थी उस समय किसी राजनीतिक पार्टी का गठन ही नहीं हुआ था। उन्होंने देश की आजादी में वीर सावरकर के योगदानों का भी जिक्र किया। उन्होंने हिंदी भाषा, रंग व धर्म को न बांटने की व एक राष्ट्र की बात कही।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने कहा कि ‘‘एक-दो किताब और उसके अध्याय पढ़ लेने से इतिहास की पूर्ण जानकारी नहीं हो जाती है। सबसे पहले लोगों को अपने स्थानीय इतिहास के बारे में जानना चाहिए।’’ 1857 की क्रान्ति में सक्रिय योगदान देने वाले क्रान्तिकारी मंगल पाण्डे का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी लक्ष्य अंतिम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने में जिस साझा शक्ति से हिंदू - मुस्लिम अंग्रेजों से लड़े उसी साझा शक्ति को अंग्रेजों ने तोड़ने की कोशिश की। आज नई पीढ़ी को इस शक्ति को समझना होगा तभी सपने सकार होगें।
कार्यक्रम का समापन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक प्रो0 सुरेश शर्मा की ओर से श्री आशीष श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में आए हुए मुख्य वक्ताओं एवं वहां पर उपस्थित सभी गणमान्य लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर रानी देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर, ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर सिविल लाइन, जी0आई0सी0, एवं मैरी वॉना गर्ल्स इंटर कॉलेज के छात्र छात्राएं एवं उनके प्रतिनिधि तथा प्रयागराज के बुद्धिजीवी वर्ग एवं केन्द्र के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
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