मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।
तुम्हारी मेज चांदी की, तुम्हारे जाम सोने के,
यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है।।
जी हां! अदम गोंडवी की ये चार लाइनें श्रावस्ती जिले के इकौना ब्लॉक के राप्ती नदी पार बीहड़ दोआब क्षेत्र पर सटीक बैठ रहीं हैं। लोग कहते हैं ' साब ' अपने सांसद को तो आज तक देखा ही नहीं है । आजादी के बाद से यह क्षेत्र पूरी तरह जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता के हाशिए पर खड़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में अपने पर भरोसा न कर अंबेडकर नगर के बसपा के राम शिरोमणि वर्मा पर विकास के नाम पर आस्था जताई थी, लेकिन अपने संसदीय कार्यकाल में अब तक उनकी निगाहें इस क्षेत्र की दुश्वारियों की ओर नहीं उठीं।दोआब का यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से अछूता है। अशिक्षा और बेकारी की मार झेल रहे ज्यादातर लोगों की आवाज न तो अधिकारियों तक पहुँचती है और नहीं उनके चुने गए प्रतिनिधियों तक।
👉कब बहुरेंगे बीहड़ दोआब क्षेत्र के दिन
शासन बदला, सत्ता बदली कई सरकारें आईं और गईं परन्तु बीहड़ दोआब क्षेत्र आज भी अपने स्वर्णिम
भविष्य के सपने देख रहा है।प्राकृतिक आपदा एवं विभिन्न प्रकार की समस्याओं की थपेड़ों से आहत बीहड़ दोआब का भाग्य कहा जाए या दुर्भाग्य कि बाढ़,
पिछड़ेपन, आर्थिक विपन्नता, रोजगार के
अभाव, साधनहीनता एवं मंहगाई आदि से
जूझता इस क्षेत्र का निवासी घुटन भरी जिन्दगी
जीने के लिए आज भी मजबूर है।
👉90 फीसद जनता गरीबी रेखा के नीचे
इस क्षेत्र में नरायन जोत, भुतहा,
मलौना खसियारी, किड़िहौना, सेमरी तरहर,
गनेशपुर, लक्ष्मनपुर गोड़पुरवा, मुजहनिया,
धर्मपुर , मनिकाकोट, भोजपुर, दहावर कला,
अंधरपुरवा, कोटवा इमलिया तारा, मनोहरापुर आदि गांव पंचायतें शामिल हैं। नदी नालों से घिरे यहां के लोगों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती किसानी है।
राप्ती नदी के कहर एवं सिंचाई साधनों का अभाव दोआब क्षेत्र की जनता की बदनसीबी है।
👉 सबसे बड़ी बाधा राप्ती नदी
यह नदी दोआब क्षेत्र की शोक बनी है। यह क्षेत्र
चीन के 'सांगहो' का ही दूसरा रूप है। इस क्षेत्र के विकास में आवागमन की समस्या मुख्य रूप से आड़े आ रही है। यदि राप्ती नदी के ककराघाट पर पक्का पुल बन जाय तो
निश्चित रूप से इस क्षेत्र का विकास हो सकता
है। इकौना- लक्ष्मणपुर मार्ग पड़ने वाले इस घाट
पर पुल बन जाए तो बुद्ध तपोस्थली श्रावस्ती सीधे नेपाल सीमा से जुड़ जाएगी। इस क्षेत्र
की जनता पुल की मांग कई वर्षों से करती
चली आ रही है, पर लोग हमेशा आश्वासन चादर तान कर सो गए। यहां तक कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने
ककरा घाट के बारे में सदन में चर्चा करना भी
मुनासिब नहीं समझा। यदि ककराघाट पर पक्का पुल बन जाय तो दोआब क्षेत्र के साथ सिरसिया, हरिहरपुर रानी और पड़ोसी जिले बलरामपुर के उत्तरी एवं पश्चिमी क्षेत्र विकास के फलक पर चमकने लगेगा।
👉पशु अस्पताल नहीं
इस सम्पूर्ण दोआब क्षेत्र में सरकारी संस्था के
नाम पर न तो कोई गोदाम, बैंक या पशु
अस्पताल है ना ही चिकित्सा की कोई प्रभावी व्यवस्था ही है। 12 किमी के आसपास कोई पशु अस्पताल नहीं है।
👉बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा का प्रबंध नहीं
बालिकाओं के लिए जूनियर हाई स्कूल के बाद उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। दूर दराज भेजकर कर अभिवावक बेटियों को पढ़ाना भी नहीं चाहते हैं, जिससे लड़कियों की पढ़ाई की तमन्ना अधूरी रह जाती है। सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है। राप्ती नदी की कटान को रोकने के लिए भी जिम्मेदार गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
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