तुलना गलत  है, बहुत बड़ी गल‍ती । प्रारंभ से ही हमें तुलना करना सिखाया जाता है। हमारी मां हमारी तुलना दूसरे बच्चों से करने लगती है। हमरे पिता तुलना करते हैं। शिक्षक कहते हैं, "गोपाल को देखो, वह कितना अच्छा है, और एक तुम हो, 
     शुरुआत से ही हमे  कहा गया है कि स्वयं की तुलना दूसरों से करे। यह बड़ी से बड़ी रुग्णता है; यह कैंसर की तरह है जो हमारी आत्मा को नष्ट किए चला जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है, और तुलना संभव नहीं है।  क्या हम गेंदे की तुलना गुलाब से करते हो?  क्या हम आम की तुलना सेव फल से करते हो? हम जानते है कि वे असमान हैं--तुलना संभव नहीं है। मनुष्य कोई वर्ण नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है। हम पूरी तरह से अद्वितीय है। यह हमारा विशेषाधिकार है,   जीवन का आशीर्वाद है--कि इसने हमे अद्वितीय बनाया।

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