बेवजह तुमसे बात करना
कम कर देता
हूँ ,बेमतलब आईने
से दोस्ती बना
रखता हूँ दिन
में सो लेता
हूँ रात भर
जागता हूँ तनहा
सारी सारी रात
तुम्हें सोचता हूँ मन
कहता है ..तुम्हारे
जाने तक अपना
मूड ठीक रखूँ जिससे तुम खुश
रहो मेरी वजह
से अपना तय
प्रोग्राम न खराब
करो पर पता
नहीं क्यूँ ..? एण्ड
उसी वक़्त तुमसे खिन्न सी आती है और उसे जस्टीफाई
भी कर लेता
हूँ , कि चलो
इस खिन्न पर मुझे कुछ दिन तक तुम्हरा आना याद तो
रहोगा। हर पल भ्रम सा होने
लगा है तू
हर ओर दिखने
लगी है भूख
बंद ! प्यास ख़त्म ! जीने
की सब वजह
ख़त्म ! मेरी लत बन
गए हो तुम तुम्हारे दूर जाने
की बात भर
से सब उलट
पुलट होने लगता
है दिल की
धड़कन हो या
मेरा मूड , जाने
की बात आते
ही .. तेरे दूर
होने का ख्याल
आते ही
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