'दोस्ती और प्रेम 'अनुभूति नहीं, एक स्टेट्स की बात है
'दोस्ती और प्रेम 'अनुभूति नहीं, एक स्टेट्स की बात है

       समाज में हर एक इंसान को बराबर का दर्जा हासिल है , वहीं इंसान को इंसान समझने की सोच जैसे धीरे-धीरे पीछे छूटती जा रही है और इंस...

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इंसानियत
इंसानियत

मैं उस दिन बाज़ार से लौट रहा था | सामने से एक 8 -10 बर्ष का लड़का एक हाथ का ठेला खींचता हुआ चला आ रहा था. ढलान होने के कारण ठेले की गति क...

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बेवक़ूफ़ : एक गृहणी
बेवक़ूफ़ : एक गृहणी

वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स...

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बचपन की जलेबी का स्‍वाद
बचपन की जलेबी का स्‍वाद

जैसे जैसे  हम  बड़े  होते  चले  जा  रहे है, वैसे वैसे  हम अपने  बचपन  की यादों को  संजोने में लगे है।  बचपन का वो सारा  खेल खिलौने  यहा  तक...

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बदलते समाजिक परिवेश मे शादीयों का माहौल
बदलते समाजिक परिवेश मे शादीयों का माहौल

आज कल के शादी विवाहों में थोडी सी नोक झोंक, लड़ाई झगड़ा तो प्राय: होते ही रहते है। चाहे वो डिजे पर डांस करते समय या दहेज को लेकर और कुछ शराबी...

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केवल निर्णय लेने से ही अधिक से अधिक सजग हुआ जा सकता है।
केवल निर्णय लेने से ही अधिक से अधिक सजग हुआ जा सकता है।

केवल निर्णय लेने से ही अधिक से अधिक सजग या स्पष्ट हुआ जा सकता है , जिससे हम   तीक्ष्ण बुद्धि के बन सकते है अन्यथा सुस्ती तो बरकरार ही...

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