शाहगंज (जौनपुर ) यूथ कॉर्नर के साक्षात्कार कार्यक्रम में  मेहमान रहे जाने माने पूर्वांचल के प्रख्यात आयुर्वेद चिकित्सक डॉ राजकुमार मिश्रा ने संवाददाता शिव कुमार प्रजापति का बेबाकी से जवाब दिए। यूथ कॉर्नर के प्रश्न प्रहार में  डेंगू ,मलेरिया ,दमा एलर्जी ,रोग मोटापा ,अनिद्रा ,उच्च रक्तचाप ,शुगर ,हृदयाघात, आदि समस्या से निजात के उपाय पूछे। जिसका मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजकुमार मिश्रा ने बहुत ही संजीदगी से उत्तर दिया। डॉक्टर राजकुमार मिश्रा ने कहा कि मोटापा सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ाता बल्कि यह शरीर में कई बीमारियों को जन्म देता है ।आधुनिकता  के व्यस्ततम दौर में लोग तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं, मोटापा के कारण मधुमेह, हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर ,अस्थमा कोलेस्ट्राल ,अत्यधिक पसीना आना, जोड़ों में दर्द, बांझपन आदि का खतरा बढ़ जाता है । ह्रदयाघात से बचाव के लिए उच्च रक्तचाप ,मोटापा शुगर पर रखे नियंत्रण।

प्रस्तुत हैं मधुमेह रोग विशेषज्ञ पूर्व आयुर्वेद चिकित्साअधिकारी डॉ राजकुमार मिश्रा का जवाब....


प्रश्न -आयुर्वेद क्या हैं? इसके क्या फायदे 

 उत्तर -आयुर्वेद हमें हजारों वर्षों से स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखा रहा है। प्राचीन भारत में आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता था। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व के कारण, हमने आधुनिक विश्व में भी आयुर्वेद के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग करना नहीं छोड़ा।


प्रश्न -रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है आयुर्वेद?

 उत्तर -आयु्र्वेद के जरिए हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ा सकते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने से ना केवल कोरोना वायरस जैसी महामारी से खुद को बचाया जा सका है, बल्कि कई अन्य तरह के घातक वायरस से भी बचाव होता है। बेशक हम इस वायरस से खुद को बचाने के लिए हर तरीके अपना रहे हों, लेकिन कई अध्ययनों में पता चला है कि अब ये हवा में भी मौजूद है। ऐसे में अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ही हम इससे जीत सकते हैं। इसके लिए कई तरह की जड़ी बूटियां और वनस्पति हमारे काम आएंगी जैसे  गिलोय आंवला तुलसी हल्दी काली मिर्च रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित होते हैं।


प्रश्न -मधुमेह डायबिटीज लाइलाज है?

उत्तर -डायबिटीज यानी कि मधुमेह रोग। अगर मधुमेह का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो ये दो शब्दों से बना है मधु + मेह अर्थात वह रोग जिसमें मूत्र (मेह) में शहद (मधु) जैसी मिठास उत्पन्न हो जाए। आयुर्वेद में आचार्यों ने एक लक्षण इसका बताया है कि, 'पिपलीकाश्च परिधावणं" अर्थात जिस मूत्र की तरफ चींटियां भागी चली आएं। पहले जब लैब टेस्ट या ग्लूकोमीटर नहीं होते थे उस समय मधुमेह का निदान ऐसे ही किया जाता था, मूत्र में चींटियों का लगना अर्थात मधुमेह रोग।

लाइलाज नहीं है डायबिटीज, आयुर्वेद में है इसका इलाज,अनियमित दिनचर्या को ठीक करके भी अधिकांश लोग अपनी शुगर नियंत्रित कर लेते हैं। तनाव से लड़ना सीखना, बेवजह के डर को दूर करने से भी शुगर सामान्य हो जाती है।



प्रश्न -आयुर्वेद में डायबिटीज कंट्रोल कैसे किया जा सकता है?

उत्तर -आयुर्वेद पद्धति से मधुमेह का इलाज बिल्कुल संभव है।

पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजकुमार मिश्रा कहते हैं, यह दवा बहुत से औषधीय पादपों से तैयार की गई है। जिनका सेवन विशेषज्ञ राय से करना चाहिए।इनमें गिलोय, मेथी, दारूहरिद्रा, विजयसार, मजीठ, मेठिका और गुड़मार शामिल हैं। ये मधुमेह का प्रभाव कम करने वाले माने गए हैं और रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित करते हैं। विभिन्न अध्ययनों से साबित हुआ है कि इनसे रक्त शर्करा का प्रबंधन और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।


प्रश्न -आम जनमानस का आयुर्वेद पर विश्वास कम हुआ है?

उत्तर -नही कोरोना काल के दिनों के बाद आयुर्वेद दवाओं का वितरण पहले से दोगुना बढ़ गया है. लोगों का विश्वास आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं की मांग में भी इजाफा हुआ है.इसलिए आयुर्वेद पद्धति से लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए लोग विश्वास पर रहें हैं।



प्रश्न -जीवनशैली का डायबिटीज पर प्रभाव?

उत्तर -आयुर्वेद में शरीर में डायबिटीज होने के उन कारणों को विस्तार से बताया गया है जो हमारे जीवनशैली से जुड़े हुए हैं। डायबिटीज बढ़ने का मुख्य रूप से कारण दूध और दही से तैयार खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना है। शरीर के मूवमेंट यानी दिनभर बैठे या लेटे रहने से भी डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि जहां तक संभव हो शरीर को चलायान रखें। सुबह-शाम रोजाना टहलना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर कुछ देर डेली व्यायाम किया जाए तो कफ की समस्या से निजात पाया जा सकता है। कई बार देखा गया है कि डायबिटीज की समस्या आनुवांशिकता के कारण भी जन्म लेती है। इसके अलावा अत्यधिक सोना, मानसिक तनाव भी डायबिटीज के संभव कारण हो सकते हैं।


रिपोर्ट शिव कुमार प्रजापति शाहगंज जनपद जौनपुर

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