स्वंतत्रता का अमृत काल चल रहा है। हमें यह स्वतंत्रता अनगिनत वीर शहीदों के बलिदान से प्राप्त हुई है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज द्वारा मासिक नाट्य योजना के अन्तर्गत एक ऐसे ही वीर सपूत ”अमर शहीद रोशन सिंह“ की कहानी का नाट्य मंचन, नौटंकी विधा में आज 26 अगस्त को सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह में किया गया। जिस्का निर्देशन राजेन्द्र त्रिपाठी ‘मधुकर’ ने किया।
”ज़िन्दगी ज़िंदा दिली को जान-ए-रोशन। 
वरना कितने ही यहां रोज ‐फना होते है।।
आज के नाटक का नाट्य मंचन शहीद रोशन सिंह जो कि काकोरी कांड में क्रान्तिकारियों में प्रमुख थे कि कहानी से प्रेरित था। काकोरी कांड के बाद ब्रिटिश सरकार उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज देती है, उन्हें जासूसी करने का प्रलोभन दिया जाता है। उनके मना करने पर उन्हें तरह-तरह से यातनाएं दी जाती है, पीटा जाता है। परन्तु शहीद रोशन सिंह टस से मस नहीं होते। उन्हें जेल होती है और फांसी की सजा होने पर भी वह किंचित मात्र दुःखी नहीं होते और मुस्कुराते हुए फांसी के  फंदे पर लटक जाते हैं।  नौटंकी विधा में यह नाट्य प्रस्तुति ‘मधुकर एण्ड पार्टी’ प्रयागराज द्वारा की गई । नाटक के सफल मंचन के बाद केन्द्र निदेशक प्रो0 सुरेश शर्मा ने सभी कलाकारों को शुभकामनाएं दी एवं प्रेक्षागृह में उपस्थित सभी दर्शकों को अभिवादन किया। मंच संचालन सुश्री हिमानी रावत ने किया।
इन्कलाबी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को एक ही तारीख में फांसी के फंदे पर लटकाया गया. वो तारीख थी 19 दिसंबर 1927. इन बीर सपूतों की कहानियों से भरे पड़े इतिहास के पन्नों को पलटने पर पढ़ने को मिलता है कि, इलाहाबाद जेल में फांसी लगाए जाने से पहले 6 दिसंबर सन् 1927 को ठाकुर रोशन सिंह ने एक खत अपने दोस्त के नाम लिखा था. जिसका मजमून उस जमाने में हिंदुस्तान के हर बच्चे की जुबान पर हू-ब-हू रट गया था|

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