जौनपुर जनपद के शाहगंज तहसील क्षेत्र  अंतर्गत शहरी हो या ग्रामीण सभी जगह झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र लगभग 15 से 25 35 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में रेफर कर दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।

शाहगंज क्षेत्र नई सब्जी मंडी, घास मंडी, पल्थी रोड, काली चौरा, सुल्तानपुर रोड, आदि क्षेत्र ऐसे हैं जहां धड़ल्ले से प्रसव तक की सुविधा झोलाछाप डाक्टर सरकारी तंत्र के दूर व्यवस्था का पूरा फायदा उठाते हैं । इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं। सरकारी चिकित्सा विभाग के गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण अक्सर मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में पहुंच जाते हैं  झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है।
मेडिकल लाइसेंस के भरोसे चलता है हॉस्पिटल
बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर
झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है।  स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है।
जौनपुर शाहगंज स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई
झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली  जाने की पूर्ण सम्भावना बनी रहती है
 प्रतिवर्ष शाहगंज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा छापेमारी करके कार्रवाई लिखा पढ़ी कर कर जिला कार्यालय भेज दिया जाता है परंतु मानक विहीन अस्पताल एवं झोलाछाप डॉक्टरों की धंधे वाजी बंद नहीं होती परंतु वह हॉस्पिटल आज भी निरंतर चल रहे हैं जिसका जवाब दे कोई नहीं है लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की,ग्रामीण क्षेत्र में एक बार भी प्रशासन की कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।
केस बिगड़ने पर अस्पताल रेफर कर देते हैं मरीज
बीते कुछ वर्षों से फर्जी  डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है। झोलाछाप डॉक्टर एवं मानक विहीन हॉस्पिटल निरंतर अपने हुनर का प्रयोग मरीजों पर कर रहे हैं अब देखने वाली बात है की स्वास्थ्य विभाग का महकमा इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कब कार्रवाई करेगा, जनरल फिजीशियन आम भाषा हो गई है डॉक्टरों की पहचान

✍️रिपोर्ट शिव कुमार प्रजापति जौनपुर

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