इस सफलता को अर्जित करने से पहले 2017 से लगातार पीसीएस की मुख्य परीक्षा दे रहे हैं बता दे कि इससे पहले उन्होंने 2018 में pcs का साक्षात्कार भी दिया था। यही नही इससे पहले भी इन्होंने बतौर कई केंद्रीय यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी में भी असिस्टेन्ट प्रोफेसर का साक्षात्कार दे चुके थे, लेकिन मुकाम तक नहीं पहुच पाए। 2011 में हिंदी में परास्नातक करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए थे वही से इनके कैरियर के सफर का सफरनामा शुरू हुआ। जीवन इनका काफी उतार चढ़ाव से भरा रहा। अपनी सफलता पर बात करते हुवे डॉ नंद कुमार तिवारी बताते हैं कि इस सफलता को उन्होंने काफी संघर्ष से हासिल किया है। इस उपलब्धि के पीछे उनके माता पिता, गुरुजनों और मित्रों का सहयोग रहा है।
अस्सिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर चयनित होकर किया गाँव का नाम रोशन
सफलता को प्राप्त करना हर किसी का सपना होता है, पर बिना कठिन परिश्रम इसे पाने की चाह आपके सपने को धुंधला कर देती है। अपने सपने को पूरा करने के लिए लोगों को न जाने किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आपने अक्सर सुना होगा कि जो जागत है सो पावत है। इसी कथन को सच करते हुए जनपद बहराइच सेमरियावां पयागपुर के रहने वाले डॉक्टर नंद कुमार तिवारी ने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर चयनित होकर अपने सपने को सच करके दिखाया है और आज सफलता के ऐसे मुकाम पर हैं जहां तक पहुचने के लिए वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे थे। इनके पिता राम अक्षयवर तिवारी सेवानिवृत्त सहायक खण्ड विकास अधिकारी ,पयागपुर,) थे।
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