माघ मेला में स्थित एनसीजेडसीसी का सांस्कृतिक शिविर चलो मन गंगा यमुना तीर में सांस्कृतिक संध्या लोकगीतों के नाम रही। शनिवार को कुंवर सिंह के बिरहा गीत बड़ा नीक लागे गंगा माई के लहरिया से होती है। इसके बाद गुलाब चन्द्र विश्वकर्मा राजा जन्मेज की कहानी को लोकगीतों में पिरो कर श्रोताऔं को मंत्र मुग्ध कर दिया। लोकगीत गायिका आस्था शुक्ला ने गंगा की महिमा को अपने गीतों के माध्यम से जनश्रोताओं तक पहुंचाया उन्होंने नमामि गंगे, गंगा मईया तोहरे पिईरे चढाईबे एवं हर-हर शम्भू गीत प्रस्तुत कर पूरे सासंकृतिक पंडाल को भक्तिमय क दिया। कार्यक्रम के इस कड़ी में हरि लाल ने सुनी-सुनी लागे कदम का डरिया , जाके इतिहास में देख लो साथियों सर मैं कटा के पिलाया हूं लहु की प्रस्तुति देकर सांस्कृतिक पंडाल में उत्साह भर दिया। कृष्णा प्रसाद एवं दल ने झिझिया नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति की गई। इस नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया।
कलाकारों ने इस नृत्य के माध्य से मिथिला की संस्कृति को बखूबी सबके सामने रखा। इसके बाद ढोल, बाकिया, थाली के थाप और सागर पानी भरवा जाउं सा गीत के बीच राजस्थान से आई अंजना एवं दल ने घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसका दर्शकों ने खूब लुफ्त उठाया। मथुरा से पधारे जितेंद्र पराशर ने बरसाने की मोर कुटी बन आए रसिया को प्रस्तुत कर त्रिवेणी तट को ब्रज के फाग में रंग दिया। मनोज कुमार सिंह ने गंगा मईया की मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके अलावा चरी , गोडऊ, पांवरिया, मयूर नृत्य लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा।
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